Monday, September 20, 2010

नमस्ते,हल्लो,हॉय.....

हिला के रख दिया इस मुई ब्लॉगिंग ने






नमस्कार मित्रों,

मेरा यह ब्लॉग आशा है आप सभी के मार्गदर्शन में निरंतर आगे बढेगा। किन्तु उससे पहले मै पूछना चाहती हूँ आप सभी से चंद सवाल...

१आप सभी किस उद्देश्य से ब्लॉगिंग कर रहे हैं?
२क्या जो भी दिल में हो लिख देना हिंदी ब्लॉगिंग में ही आता है?
३किसी भी गलत-सलत रचना को बहुत अच्छी,सुन्दर भावप्रद कह देना क्या रचना या रचनाकार के साथ अन्याय नही है?
४क्या ब्लॉगिंग के वो महान दिग्गज चुप रह पाते हैं जब कोई भी कुछ भी आकर लिख जाता है।
५क्या आपको नही लगता की कुछ ब्लॉग ऎसे भी होने चाहिये जो लेखन की आलोचना भी करें ताकि लेखक को अपनी गलतियों का अहसास हो सके।
६मेरा अंतिम सवाल क्या मै अपने इस चिट्ठे पर अपने मन की हर बात लिख सकती हूँ...कहीं दिल की भड़ास निकालना ही ब्लॉगिंग तो नही?


आशा है आपके पास जरूर होगें मेरे सवालों के जवाब
आप जवाब दीजिये और मै सोचती हूँ कुछ भी कहीं से भी में क्या होने वाला है...

सादर-नमस्कार

15 comments:

  1. sadar namaskar aapne sawal achchha uthaya aap kahana bhi sahi hai lekin hamare mahan desh me lokatantr pure sabab pr hai charo taraf kya hai ?dekhiye mn me aanand anubhaw karane ka prayash kariye . jyada kya ?
    arganikbhagyoday.blogspot.com

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  2. एक और छद्म ब्लॉग !कुछ लोगों की फितरत मृत्यु पर्यन्त नहीं बदलती !

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  3. आदरणीय अरविंद जी,आपका कहना अक्षरस्यः सत्य है। किन्तु बस एक बात बताईये क्या मेरी पहचान मेरे माता-पिता से अलग है। आपने मेरे प्रश्नो का उत्तर न देकर मुझ पर दोषारोपण किया है। मेरे मित्र यकीनन मेरे माता-पिता की तस्वीर देख कर और मेरी लेखन शैली देख कर मुझे पहचान जायेंगे। जग प्रख्यात बनने का मुझे लोभ नही है। पिछले ४-५ सालों से ब्लॉगिंग की दुनियाँ में हूँ बस फ़र्क इतना सा है कि यह ब्लॉग बनाया है वह सब लिखने के लिये जो अब तक नही लिख पा रही थी। आप आये आपका धन्यवाद।

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  4. शुभकामनाएं

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  5. दिल की भड़ास निकालना तो नहीं मगर मन के भावों को शब्द रूपी वस्त्र पहनाना और फिर उसे सार्वजनिक करना जिससे आपको प्रोत्साहन मिले...जिसके प्रत्युत्तर के लिए आपको लम्बा इंतजार नहीं करना पड़े..ब्लॉगिंग की दुनिया में आपका नाम हो, कुछ लोग आपको पहचानते हों..कुछ रिश्ते बनें। मुझे कुछ बहुत प्यारे रिश्ते मिले जिनसे मेरा केवल ब्लॉगिंग का ही नाता है लेकिन मन को भाते हैं वो...ये है ब्लॉगिंग...मैं अपने बारे में कह सकती हूं जहां गलती दिखाई देती है मैं जरूर टोकती हूं क्योंकि हम सब मित्र हैं और मित्र का यही कर्त्तव्य हैं कि अपने किसी मित्र की गलती देखो तो जरूर बताओ..मुझे यह भी कहा गया कि आप हिंदी का प्रचार करें हिंदी न सुधारें...पर मेरी अपनी अलग मान्यता है, अलग सोच है...तो आप भी अपने मन के भावों को हम सबसे साझा कर सकती हैं...बाकी क्या करना है क्या नहीं...यह आपको तय करना है

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  6. वीना जी की टिपणी के साथ सहमत हूँ|

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  7. वीना जी की टिपणी के साथ सहमत हूँ|

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  8. इस सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  9. अभी इस ब्लॉग को प्रोबेशन में डाल रखा है -कुछ और जलवे बिखेरें !

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  10. इतने सारे प्रशों के साथ ब्लोगिंग करना मुश्किल है ...

    क्या है ? , क्या होना चाहिए ? कैसा व्यवहार हो ? आलोचना हो या न हो ..यह सब बातें स्वत: प्रक्रिया में आती जाती हैं ...

    जो नदी में उतरेगा नहीं वो तैरना क्या सीखेगा ?

    स्वागत है

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  11. नमस्कार, आप सभी की टिप्पणियां मेरे लिये सर्वोपरी है। आप सभी का धन्यवाद.मुझे लगता है मै आप सभी को अपने मान की हर बात लिख पाउँगी।
    आदरणीय अरविंद जी,योगेंद्र जी,विना जी,राकेश जी,संगीता पुरी जी,संदीप जी आपने मेरे सवालो का जवाब देने की जहमत उठाई। इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है?

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  12. स्वागत ,सुन्दर अभिव्यक्ति । शुभ कामनाएं ।

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  13. स्वागत है।
    मेरी समझ में तो ब्लॉगिंग अभिव्यक्ति का एक माध्यम है। अब यह अभिव्यक्त करने वाले पर निर्भर करता है कि वह क्या अभिव्यक्त करना चाहता है। लेखन की सम्यक आलोचना/विवेचना होना चाहिये। संयोग है कि ऐसा हिन्दी ब्लॉगिंग में अभी चलन में नहीं है। आशा है आगे होगा।
    शुभकामनायें!

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  14. ab jo anup ji ne kah diya uske baad kya kahu mujhe samajh me nahi aaya, unke kathan me hi meri sehmati hai, baki parichit hone ki dhwani jhalak to rahi hai lekin mai pakad nahi paa rahaa,
    swagat hai....shubhkamnayein...

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स्वागत है आपका...