Monday, September 27, 2010

पहचान तुम्हारी क्या होगी?


यह तस्वीर एक ब्लॉगर हैं जो बहुत बड़े आर्टिस्ट है उनकी बेटी की है...
किंतु क्या यही इसकी पहचान होगी?



बहुत साल पहले जब मै ब्लॉगिंग में आई थी मैने खुश होकर सबसे पहले अपनी तस्वीर लगाई थी। उस समय बहुत से लोगो ने मुझे टोका था की नेट पर तस्वीर ठीक नही। बहुत से लोगो के ब्लॉग पर तस्वीर होती ही नही थी। जिनमे से एक आदरणीय घुघूती वासूति जी थीं। किंतु आज जब मै बिना तस्वीर के आपके सामने आई हूँ सिर्फ़ यही देखने की क्या तस्वीर से हट कर इंसान की कोई पहचान हो सकती है? आप मेरी पहचान तस्वीर से चाहते हैं। पर क्या तस्वीर देख कर पहचान पायेंगे? यह प्रोफ़ाईल तस्वीर सन १९९० की है थोड़ा चेहरा-मोहरा तो मिल ही जायेगा :)

मै जानती हूँ आज इंसान की पहचान कागज़ के कुछ टुकड़ो पर सिमट कर रह गई है। मेरे पास पहचान-पत्र है, ड्राइविंग लाइसेन्स है,पेन कार्ड है,राशन कार्ड है,बैंक अकाण्ट है,पासपोर्ट है यानि की  पहचान की हर चीज़ उपलब्ध है। किन्तु क्या यह सब जाली नही हो सकते?

मुझे लगता है इन सब चीज़ों से हट कर भी एक चीज़ होती है। वो होती है इंसानियत। मेरी लम्बी ब्लॉगिंग की जिंदगी में समीर जी, संजीव तिवारी जी, शास्त्री जी,अरविंद मिश्रा जी, अरुण आदित्य जी,हर्षवर्धन त्रिपाठी जी,अनुप शुक्ल जी, संजीत त्रिपाठी जी  और भी न जाने कितने लोगो का साथ मिला और मिलता रहा। घुघूति वासुतिजी, अनिता कुमार जी, रमा द्विवेदी जी, और मीनाक्षी धनवन्तरी जी मुझे बेहद पसंद थी और आज भी हैं मगर और भी कई नाम जुड गये हैं।

मै जहाँ तक मेरी या आपकी पहचान के बारे में सोचती हूँ तो लगता है कि हम एक दूसरे की आदतों को कुछ हद तक पहचानने लगें हैं। कौन क्या लिख सकता है कहाँ तक, किस सीमा तक दूसरे का सम्मान या अपमान कर सकता है हम जानते हैं।

यह सच है कि नाम बदल कर तस्वीर बदल कर ब्लॉग जगत में बहुत से लोग आ चुके हैं। बहुत से लोगो को मै भी जानती हूँ।
क्या कोई इलाज़ है आपके पास? बहुत से पुरूष किसी सुन्दर सी लड़की की तस्वीर लगा कर प्रोफ़ाईल बना कर जाने कब से आपके बीच हैं। और धड़ाधड़ टिप्पणी पा रहे हैं।

मुझे लगता है मै विषय से भटक न जाऊँ। आपसे बस एक निवेदन है।
तस्वीर कोई भी हो नाम कोई भी हो।
काम हमारा मकसद हमारा सिर्फ़ एक है,इंसानियत।
भाषा कोई भी हो हर इंसान में मौजूद है इंसानियत
और यही उसकी पहचान बने।

6 comments:

  1. चलिए आपकी बातें सर माथे बस अब आप नमस्कार मत कर लीजियेगा जाने वाला ..
    लिखिए हम पढ़ते रहेगें ,बुकमार्क कर लिया है ..न तो आपकी फोटो देखनी है न परिचय पूछना है ..
    आपकी पोस्टें आपका परिचय हों -यही शुभकामना है !

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  2. ओह..., आप!! 1990 की तस्‍वीर में भी आप ही हैं, हमने तो पहचान लिया.

    अच्‍छा लगा इस तरह से आपसे मिलना, हम भी फालोवर बन जाते हैं, गुरू.....

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  3. अच्छा लेखन, अच्छा व्यवहार-बस यही पहचान होना चाहिये...तस्वीरों का क्या...व्यवहार अच्छा हो, लेखन अच्छा हो तो वो भी अच्छी लगती है वरना तो लाख सुन्दर तस्वीर भी विभत्स दिखने लगे,

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  4. अच्छा लिखा है। लिखती रहें।

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  5. अरविंद जी,संजीव जी,समीर जी,अनूप जी आप सबका प्रोत्साहन मिल॥ मेरे लिये इतना ही काफ़ी है। खुद को ब्लॉगजगत में सक्रिय रखने की भरसक कोशिश करूँगी।
    धन्यवाद।

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  6. ham sab chaurasi lakh steshano wale hai maidam patanahi kis steshan par kis tasbir me duti lag jaye
    arganik bhagyoday.blogspot.com

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स्वागत है आपका...